हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्राहीम
وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ آمِنُواْ كَمَا آمَنَ النَّاسُ قَالُواْ أَنُؤْمِنُ كَمَا آمَنَ السُّفَهَاء أَلا إِنَّهُمْ هُمُ السُّفَهَاء وَلَكِن لاَّ يَعْلَمُونَ वइज़ा क़ीला लहुम आमेनू कमा आमनन नासो क़ालू आनूमेनू कमा आमनस सुफ़ाहाओ अला इन्नहुम हुमुस सुफ़ाहाओ वलाकिन ला यअलामून। (बक़रा 13)
अनुवादः जब उनसे कहा जाता है कि दूसरे आस्तिकों की तरह ईमान लाओ तो वे कहते हैं कि हमें मूर्खों की तरह ईमान लाना चाहिए, हालाँकि वास्तव में वे मूर्ख हैं और उन्हें इस बात का पता भी नहीं है।
📕 कुरआन की तफ़सीर 📕
1️⃣ आम लोग इस्लाम के पैगंबर (स) और इस्लाम धर्म में विश्वास करने में सच्चे थे।
2️⃣ सच्चे विश्वासी पाखण्डियों की दृष्टि में मूर्ख और अहमक़ होते हैं।
3️⃣ घमण्ड और शेखी बघारना और सच्चे विश्वासियों का अपमान करना पाखंडियों के गुणों में से हैं।
4️⃣ पाखंडी अपने को बड़ा ज्ञानी और बुद्धिमान समझते हैं।
5️⃣ पाखंडी अपनी मूर्खता और बुद्धि के अभाव से अनभिज्ञ हैं।
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📚 तफसीरे राहनुमा, सूरा ए बकरा
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